Thursday, 28 November 2019

आईआईटी जेईई आर्किटेक्चर की परीक्षा 12 जून को



आईआईटी दिल्ली द्वारा आयोजित जेईई आर्किटेक्चर एप्टीट्यूड टेस्ट 12 जून 2020 को लिया जाएगा। वहीं इसका परिणाम 16 जून को जारी होगा। इसके बाद सीट आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बैचलर इन आर्किटेक्चर (बी.आर्क) कोर्स आईआईटी रुड़की और आईआईटी खड़गपुर में चलता है। हालांकि इस कोर्स में दाखिला जेईई एडवांस्ड में मिले अंकों के आधार पर ही होगा लेकिन एप्टीट्यूड टेस्ट को क्वालिफाई करना जरूरी है। जेईई एडवांस का परिणाम घोषित होने के बाद विद्यार्थियों को  बी.आर्क में नामांकन के लिए अलग से पंजीकरण कराना होगा।  पिछले साल आईआईटी रुड़की को एप्टीट्यूड टेस्ट की जिम्मेदारी दी गई थी।

17 मई को जेईई एडवांस्ड : जेईई एडवांस्ड 17 मई 2020 को देश-विदेश के विभिन्न केंद्रों पर आयोजित कि या जाएगा। इसका परिणाम आठ जून 2020 को जारी किया जाएगा। आईआईटी दिल्ली ने जेईई एडवांस्ड की वेबसाइट पर परीक्षा का सिलेबस अपलोड कर दिया है।

जेईई मेन जनवरी और अप्रैल में : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से आयोजित जेईई (ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जामिनेशन) मेन प्रथम चरण के लिए परीक्षा छह जनवरी से 11 जनवरी के बीच होगी। एडमिट कार्ड छह दिसंबर को जारी किया जाएगा। वहीं परिणाम 31 जनवरी 2020 को जारी किया जाएगा। वहीं दूसरे चरण का जेईई मेन तीन से नौ अप्रैल 2020 के बीच आयोजित किया जाएगा। इसके लिए रजिस्ट्रेशन सात फरवरी से सात मार्च 2020 के बीच होगा।  इसका परिणाम 30 अप्रैल 2020 को जारी किया जाएगा। 

https://www.livehindustan.com/career/story-iit-jee-b-arch-paper-2-exam-for-architecture-will-be-organised-on-12-june-2020-2838457.html

कॉलेज , ब्रांच, कोर्स और स्ट्रीम बदलने से पहले ये बातें जरूर जाने लें

भारत में हर वर्ष हजारों-लाखों छात्र बीटेक के बाद एमबीए में प्रवेश लेते हैं, ताकि करियर को बेहतर बना सकें। इसी तरह आईआईटी के छात्र प्रशासनिक सेवाओं में जाना चाहते हैं.। इसकी वजह काफी हद तक भारतीय पारिवारिक-सामाजिक व्यवस्था में छिपी है, जहां माता-पिता की ख्वाहिशें बच्चों के सपनों पर हावी हो जाती हैं। इसके विपरीत कभी-कभी छात्र स्वयं भी दुविधा में रहते हैं। करियर काउंसलर जितिन चावला कहते हैं, ‘भारत का कोई छात्र अगर विदेश जाकर पढ़ना चाहे, तो उसमें बहुत दिक्कत नहीं आती, जबकि भारत में यह इतना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए कोई भारतीय छात्र अमेरिका की यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर चाहे तो पुराने कॉलेज या यूनिवर्सिटी के क्रेडिट्स खोने जैसी स्थिति उसके सामने नहीं आती। विदेशी कॉलेज केवल समानता देखते हैं। वे छात्र का क्रेडिट देखते हैं और इसे सिंपल ट्रांसफर केस मानते हैं। वहां का क्रेडिट सिस्टम सही ढंग से परिभाषित है। यदि छात्र कुछ खास अर्हताएं पूरी करता है तो एक कॉलेज द्वारा किए गए कोर्स को वहां मान्यता मिल जाती है। हमारा सिस्टम जैसे-जैसे क्रेडिट पर फोकस करेगा, वैसे-वैसे यह प्रक्रिया आसान हो जाएगी। हालांकि यूजीसी कहती है कि यह प्रक्रिया आसान होनी चाहिए, लेकिन यूनिवर्सिटी के इस बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। वैसे कुछ बातों पर यूजीसी के निर्देश पूरी तरह स्पष्ट हैं। अगर एडमिशन के तुरंत बाद या लगभग एक महीने के भीतर कोई स्टूडेंट कॉलेज बदलना चाहता है तो कॉलेज या यूनिवर्सिटी छात्र के सभी मौलिक प्रमाणपत्र और फीस वापस करें।’

छात्रों की समस्याएं
पहले या दूसरे सेमेस्टर के बाद कॉलेज बदलना हो तो क्या करें? स्ट्रीम या ब्रांच कैसे बदलें? मान लें, अगर एक स्टूडेंट बीटेक इलेक्ट्रिकल ब्रांच में है, लेकिन एक वर्ष बाद वह कंप्यूटर साइंस में ट्रांसफर चाहता है तो क्या यह संभव है? इसी तरह कई बार डिस्टेंस मोड से पढ़ाई करने वाले छात्र रेगुलर क्लास में जाना चाहते हैं.। ऐसे छात्रों के लिए यूजीसी के क्या दिशा-निर्देश हैं और क्या रेगुलर क्लासरूम से डिस्टेंस या डिस्टेंस मोड से रेगुलर क्लासरूम में ट्रांसफर हो सकता है?

ब्रांच बदलने की प्रक्रिया
कुछ छात्र एक-दो सेमेस्टर के बाद ब्रांच बदलने का मन बनाते हैं। उदाहरण के लिए कोई छात्र इंजीनियरिंग के एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच में जाना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है। ज्यादातर आईआईटी या अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में ऐसा संभव है, लेकिन इसके लिए पहले वर्ष के दोनों सेमेस्टर में 8 या इससे अधिक सीजीपीए जरूरी हैं, हालांकि अलग-अलग कॉलेज या विश्वविद्यालय में यह ग्रेड ऊपर-नीचे हो सकता है। इसके लिए एक आवेदन पत्र भरना होगा। प्रबंधन ऐसे सभी छात्रों की सूची तैयार करेगा, जो ब्रांच बदलना चाहते हैं। इसके बाद मेरिट के आधार पर वे तय करेंगे कि आपको वह ब्रांच मिल सकती है या नहीं। कुछ संस्थाओं या कॉलेजों में दो-तीन ब्रांच में से चयन करने को भी कहा जाता है। वैसे छात्र और काउंसलर, सभी का मानना है कि सीजीपीए ही वह सबसे बड़ी योग्यता है, जिसके बल पर दूसरी ब्रांच में आसानी से जाने का मौका मिल सकता है, क्योंकि हर कॉलेज, संस्थान या स्ट्रीम में टॉपर छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है। इसलिए काउंसलर्स छात्रों को यही सलाह देते हैं कि यदि छात्र का मन किसी कोर्स या कॉलेज में नहीं लग रहा है, तो भी उसे अपनी उपस्थिति और मार्क्स पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि उसे दूसरी जगह जाने का मौका मिल सके।

डिस्टेंस मोड से रेगुलर क्लासरूम
अगर कोई छात्र 12वीं में किसी विषय में फेल हो और वह चाहता है कि उसका एक वर्ष व्यर्थ न हो तो वह डिस्टेंस मोड से डिग्री कोर्स शुरू कर सकता है। लेकिन एक सेमेस्टर के बाद अगर वह रेगुलर क्लासरूम कोर्स में एडमिशन चाहेगा तो यह आमतौर पर मुमकिन नहीं होता। यानी रेगुलर क्लासरूम से डिस्टेंस मोड में जाना संभव है, लेकिन डिस्टेंस से रेगुलर में जाना संभव नहीं है। इसकी वजह यह है कि छात्र अपना क्रेडिट ट्रांसफर नहीं कर सकता। ऐसे में छात्र को डिस्टेंस मोड से ही डिग्री कोर्स पूरा करना होगा। अगर वह बैक पेपर देकर अगले वर्ष 12वीं उत्तीर्ण कर लेता है और रेगुलर क्लासरूम पढ़ाई करना चाहता है तो उसे अपनी यूनिवर्सिटी, कॉलेज या यूजीसी की गाइडलाइंस फॉलो करते हुए, उनसे अनुमति लेते हुए डिस्टेंस के अलावा एक क्लासरूम पढ़ाई के लिए आवेदन करना होगा।

कुछ बातें रखें याद
जब कॉलेज या कोर्स बदलने का मन हो तो-
- अपनी समस्या को पहचानें। कोर्स में मन नहीं लग रहा या करियर संभावनाएं कम दिख रही हैं? क्या आर्थिक या पारिवारिक दबाव है? शिक्षकों या प्रबंधन से तालमेल में कमी है?
- परिवार वालों-दोस्तों से पूछें और सलाह लें। अपने कोर्स टीचर से मदद लें और उन्हें बताएं कि आपके सामने किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। हो सकता है कि बातचीत से कोई बेहतर रास्ता नजर आ जाए।
- अगर ऐसा लग रहा है कि उस खास ब्रांच या कोर्स में करियर विकल्प बेहतर नजर नहीं आ रहे तो इंटरनेट सर्च करें, अगर कोई परिचित स्टूडेंट हो तो उससे बात करें या फिर किसी करियर सलाहकार से मिलें।
- अगर आर्थिक कारणों की वजह से कॉलेज बदलना चाहते हों तो बेहतर है कि कॉलेज प्रबंधन से मिल कर अपनी समस्या बताएं। कई कॉलेज अपने यहां स्टूडेंट वेलफेयर फंड की व्यवस्था रखते हैं। इसके अलावा कई जगहों पर स्टूडेंट्स के लिए फाइनेंशियल सलाहकार की भी व्यवस्था रहती है।
- यह भी ध्यान दें कि बीच में कॉलेज या कोर्स बदलने से करियर या आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त दबाव तो नहीं पड़ेगा?

स्थानांतरण कैसे हो
विशेषज्ञों का मानना है कि जहां तक कॉलेज बदलने का सवाल है, अगर दोनों कॉलेज एक यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं तो स्थानांतरण में समस्या नहीं आती, पहले-दूसरे वर्ष में वहां एडमिशन लिया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं है, यानी दोनों कॉलेज अलग-अलग विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं तो यह प्रक्रिया काफी मुश्किल हो सकती है। इसके लिए छात्र को पहले दोनों यूनिवर्सिटी के प्रशासन से बातचीत करनी होगी, यह देखना होगा कि दोनों जगह के कोर्स या सेमेस्टर में समानता है या नहीं। कुछ विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण का प्रावधान है तो कहीं ऐसा संभव नहीं है। जहां छात्र दाखिला लेना चाहता है, वहां कोई सीट रिक्त है या नहीं, यह भी देखना होता है। अगर छात्र पहले या दूसरे वर्ष में अच्छा स्कोर करता है, यानी उसका सीजीपीए या ग्रेड बेहतर है तो स्थानांतरण में थोड़ी आसानी हो सकती है। लेकिन अंत में यह निर्भर करता है कि विश्वविद्यालय की इस बारे में क्या नीति है।

https://www.livehindustan.com/career/story-how-to-change-stream-college-branche-know-important-things-2790336.html

CBSE Exam Pattern 2020: 10वीं-12वीं के एग्‍जाम पैटर्न में बदलाव करेगा सीबीएसई

Screen Vs Score


Library of Congress Publishes the Digital Collections Management Compendium (DCMC)



Library of Congress to collate and assemble guidance and policy that guide or reflect the practices that the Library uses to manage digital collections.

This resource is primarily a policy resource for staff at the Library of Congress, but we are also sharing it openly and publicly as a resource for colleagues at other institutions.”

The DCMC elements are organized into three main areas: Digital Formats, Inventory and Custody, and Access.

Access to DCMC | https://loc.gov/programs/digital-collections-management/about-this-program/?loclr=blogsig