Tuesday, 21 December 2021

National Math Day(22-December): जानिए श्रीनिवास रामानुजन के बारे में, जिनकी याद में देश मना रहा राष्ट्रीय गणित दिवस

 

रामानुजन ने 1903 में तंजावुर के कुंभकोणम में सरकारी कॉलेज में प्रवेश लिया जहां गणित में जरूरत से ज्यादा रूची होने के कारण उन्हें अन्य विषयों में फेल होना पड़ता था या कम अंक प्राप्त होते थे।

आज का दिन देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। केवल 32 वर्ष के जीवन में ही पूरी दुनिया को अपने गणित के ज्ञान का लोहा मनवाने वाले श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की आज जयंती है। इस मौके पर देश में हर साल 22 दिसंबर की तारीख को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। रामानुजन की उपलब्धियों को सम्मान देने और इस तारीख को यादगार बनाने के लिए भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मान्यता दी थी। साल 2012 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मद्रास विश्वविद्यालय में रामानुजन की 125वीं जयंती समारोह के दौरान इसकी घोषणा की थी। 

 

गणित के कारण अन्य विषयों में होते थे फेल

रामानुजन का जन्म तमिलनाडु राज्य के ईरोड में 22 दिसंबर वर्ष 1887 में हुआ था। उन्होंने 1903 में तंजावुर के कुंभकोणम में सरकारी कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां गणित में जरूरत से ज्यादा रूची होने के कारण उन्हें अन्य विषयों में फेल होना पड़ता था या कम अंक प्राप्त होते थे। आगे जाकर अपने जीवनकाल में गणित के कई सिद्धांतों के क्षेत्र में उनका बड़ा योगदान दिया था। 12 साल की उम्र में विकसित किए थ्योरम्स

रामानुजन बचपन से ही गणित में किसी अन्य इंसान से कहीं अधिक निपुण थे। केवल 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने बिना किसी की सहायता लिए त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और कई थ्योरम्स को विकसित कर लिया था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की। वर्ष 1911 में इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी के जर्नल में बर्नूली नंबरों पर आधारित उनका 17 पन्नों का एक पेपर पब्लिश हुआ था। 

 

मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में की नौकरी

वर्ष 1912 में आर्थिक कारणों की वजह से उन्हें मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क के तौर पर नौकरी भी करनी पड़ी। यहां एक अंग्रेज सहकर्मी ने उनकी गणित कौशल से प्रभावित होकर उन्हें गणित पढ़ने के लिए ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएच हार्डी के पास भेजा। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला भी मिल गया था। प्रोफेसर हार्डी ने ही छात्रवृत्ति में रामानुजन की मदद की। 

1917 में मैथेमैटिकल सोसायटी के लिए चुने गए

रामानुजन ने वर्ष 1916 में गणित से बीएससी की डिग्री प्राप्त की थी। इसके एक वर्ष बाद ही 1917 में उन्हें लंदन मैथेमैटिकल सोसायटी के लिए चुन लिया गया। बिना किसी की मदद के उन्होंने हजारों इक्वेशन बनाएं और 3900 परिणामों को संकलित किया। इनमें से कुछ- रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फंक्शन, विभाजन सूत्र और मॉक थीटा फंक्शन आदि है। उन्होंने आगे चलकर गणित के डाइवरजेंट सीरीज पर भी अपने सिद्धांत दिएं।

 

1918 में रॉयल सोसायटी के फेलो बने

वर्ष 1918 में रामानुजन को एलीप्टिक फंक्शंस और संख्याओं के सिद्धांत पर उनके शोध के लिए रॉयल सोसायटी के फेलो के रूप में चुना गया। वह इस फेलो के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय थे। खास बात यह थी की रॉयल सोसायटी के पूरे इतिहास में उनसे कम आयु का सदस्य तब था और आज तक हुआ है। इसी साल उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज में भी पहले भारतीय फेलो के रूप में चुना गया था। आज भी उनके बनाए गए ऐसे कई थ्योरम हैं, जो गणितज्ञों के लिए एक पहेली बनें हुए हैं। 

32 की उम्र में हुआ निधन

वर्ष 1919 में रामानुजन भारत वापस चले आए थे। 26 अप्रैल 1920 को उन्होंने कुंभकोणम में ही अंतिम सांसे ली। वर्ष 1991 में उनकी जीवनी - मैन हू न्यू इंफिनिटी (The Man Who Knew Infinity) प्रकाशित हुई थी। इसी जीवनी पर आगे चलकर साल 2015 में फिल्म भी बनाई गई। 

 

1729 से रिश्ता

रामानुजन की जीवनी के अनुसार एक बार प्रोफेसर हार्डी अस्पताल में रामानुजन को देखने के लिए पहुंचे। उन्होंने बताया की वह 1729 नंबर की एक खास टैक्सी में बैठ कर यहां तक आए हैं। रामानुजन ने उन्हें बताया कि यह दो अलग क्यूब के योग को दो तरीकों से जानने के लिए सबसे छोटा अंक है। तभी से गणित की दुनिया में 1729 अंक आज भी हार्डी-रामानुजन नंबर के नाम से प्रचलित है। 


https://www.amarujala.com/education/national-math-day-on-the-birth-anniversary-of-srinivasa-ramanujan-country-is-celebrating-national-math-day-on-22-december-know-history-significance-and-all-details-about-ramanujan?pageId=1

 

Sunday, 19 December 2021

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साइबर बुलिंग से बचावः एनसीईआरटी की पहल, जानिए- क्या करें, क्या नहीं करें

 ऑनलाइन दोस्ती करने में सावधानी रखें। अपनी निजी बातों को ऐसे लोगों से साझा ना करें, जिनके साथ ऑनलाइन दोस्ती हुई हो। साइबर अपराधी से बचने के लिए ये सलाह एनसीईआरटी की ओर से तैयार किताब में दी गई है।

ऑनलाइन कक्षा के दौरान साइबर बुलिंग से छात्र बचें, इसके लिए एनसीईआरटी ने 25 किताबें तैयार की हैं। अभी पहले चरण में सीबीएसई ने 14 किताबों को वेबसाइट पर डाला है। केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और यूनेस्को के सहयोग से एनसीईआरटी द्वारा साइबर सुरक्षा को लेकर किताब तैयार की गयी है। अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषा में यह किताब तैयार की गयी है। इसको तैयार करने में 15 से अधिक विशेषज्ञ काम किये। ये किताबें नये सत्र में सभी स्कूलों को भेजी जाएंगी। इसके अलावा नये सत्र में ही स्कूलों द्वारा इसको लेकर कक्षाएं भी चलाई जाएंगी।

40 फीसदी बच्चे हुए प्रभावित


एनसीईआरटी विशेषज्ञ और सीबीएसई काउंसलरों की मानें तो कोरोना के कारण ऑनलाइन कक्षाएं चलीं। इस दौरान स्कूल के 40 से 45 फीसदी बच्चे प्रभावित हुए हैं। स्कूली बच्चे कभी साइबर बुलिंग तो कभी साइबर क्राइम में फंसे। इसी सबको देखकर यह किताब तैयार की गई है।

विद्यार्थियों के लिए


● अजनबी के साथ इंटरनेट पर संवाद करते समय अपनी निजी और गोपनीय जानकारी को साझा ना करें


● ऑनलाइन प्रताड़ना का शिकार होने पर तुरंत शिक्षक, अभिभावक को सूचित करें


● इंटरनेट पर विभिन्न एकाउंट के लिए सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग करें


● ब्राउजर, ऑपरेटिंग सिस्टम और एंटी वायरस को अपडेट करते रहें


● सोशल मीडिया पर परिचित लोगों से ही जुडें


● उपयोग करने के बाद कंप्यूटर, टैबलेट या फोन के स्क्रीन को लॉककर रखें


● अपना वास्तविक नाम, जन्मतिथि, फोन नंबर आदि बिना जरूरत साझा ना करें


● सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर ना डालें


● अपरिचित व्यक्तियों से प्राप्त ई-मेल को सावधानी से देखें


● अपना पासवर्ड किसी से साझा ना करें


● ऑनलाइन होने वाले खतरों से बच्चों को मार्गदर्शन करें

● डिजिटल उपकरण देते समय सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करें


● बच्चों के साथ स्वस्थ संबंध रखें, जिससे ऑनलाइन मुद्दों को बच्चे साझा करें


● सुरक्षा पर खतरे और एप के उपयोग से गोपनीयता के मुद्दों के बारे में सचेत करना चाहिए


● बच्चों को ऑनलाइन वित्तीय घोटालों के बारे में बताएं


● ऑनलाइन जानकारी अधिक से अधिक रखें। इससे बच्चों पर नजर रख सकते हैं


● स्क्रीन का समय निर्धारित करें, मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर आदि सभी के लिए डिजिटल डिवाइस में स्क्रीन समय सेट करें


शिक्षक और स्कूल के लिए


● बच्चों को वेबसाइट को ब्लॉक करने के साथ ऑनलाइन सुरक्षित रहने का ज्ञान दें


● इंटरनेट की कठोरता पूर्वक निगरानी और इंटरनेट का प्रयोग कम से कम करें

● व्यक्तिगत और अधिकारिक प्रयाग के लिए अलग-अलग ई-मेल खातों का उपयोग करें


● वेबसाइट और व्रेब ब्राउजर पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी सेव ना करें


● सुरक्षित वाई-फाइ नेटवर्क में ही इंटरनेट का उपयोग करें


https://www.livehindustan.com/bihar/story-ncert-prepares-twenty-five-books-to-protect-children-from-cuber-bulling-know-what-to-do-and-dont-do-5369990.html