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Thursday, 23 January 2025
Republic Day 2025 Theme: क्या है 76वें गणतंत्र दिवस की थीम? जानिए इस साल की परेड की खासियत
Wednesday, 15 January 2025
Tuesday, 14 January 2025
Friday, 10 January 2025
विश्व हिन्दी दिवस: भारतीयों के लिए खास है 10 जनवरी का दिन
हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। पहली बार 2006 में पहला विश्व हिंदी दिवस मनाया गया, इसके बाद हर साल 10 जनवरी को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा। इससे पहले 1975 में पहली बार इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हिंदी वर्ल्ड हिंदी कांफ्रेस का आयोजन किया गया था। इसके बाद भारत मॉरिशियस, यूके,यूएस में इसका आयोजन होने लगा। यह हिंदी दिवस से बिल्कुल भिन्न है। हिंदी दिवस भारत में 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 को संविधान सभा ने पहली बार आधिकारिक भाषा के तौर हिंदी को अपनाया था। वहीं विश्व हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य इसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाना है।
हिंदी दुनिया के 30 से अधिक देशों में पढ़ी-पढ़ाई जाती है। लगभग 100 विश्वविद्यालयों में उसके लिए अध्यापन केंद्र खुले हुए हैं। भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो और नेपाल में भी हिंदी बोली जाती है। अमेरिका में लगभग 150 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है। 2016 में डिजिटल माध्यम पर हिंदी में समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है। दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है, जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। यहां पढ़ें हिंदी पर इन महान विचारकों के कोट्स
1997 में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि भारत में 66 फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं, जबकि 77 प्रतिशत इसे समझ लेते हैं।
जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
हिंदी का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है'। - महात्मा गांधी
निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल, बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल।— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
हिन्दी पढ़ना और पढ़ाना हमारा कर्तव्य है. उसे हम सबको अपनाना है। – लालबहादुर शास्त्री
हिन्दी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। – महर्षि स्वामी दयानन्द
Vivekananda Jayanti 2025: राष्ट्रीय युवा दिवस
स्वामी विवेकानंद को भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और विचारक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद के विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और लाखों युवाओं को दिशा देते हैं।
National Youth Day (Yuva Diwas) 2025: हर साल 12 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये दिन भारत के युवाओं व नौजवानों को समर्पित खास दिन है। युवा देश के भविष्य को बेहतर और स्वस्थ बनाने का माध्यम हैं। युवाओं को प्रेरित करने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। हालांकि युवा दिवस 12 जनवरी को मनाने की खास वजह है। ये दिन स्वामी विवेकानंद से जुड़ा हुआ है। स्वामी विवेकानंद को भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और विचारक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद के विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और लाखों युवाओं को दिशा देते हैं।
राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का निर्णय भारत सरकार ने 1984 में लिया। 12 जनवरी को युवा दिवस के रूप में मनाने का चयन करने के पीछे मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं को युवाओं तक पहुंचाना था। पहली बार 12 जनवरी 1985 को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया और इसके बाद हर साल से ये दिन युवाओं के लिए समर्पित करते हुए मनाया जा रहा है।
कौन हैं स्वामी विवेकानंद?
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के माध्यम से आध्यात्मिकता और राष्ट्र सेवा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में उन्होंने ऐतिहासिक भाषण दिया। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने "अमेरिका के भाइयों और बहनों" के साथ की। इस भाषण ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई।
राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय युवा दिवस का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचारों को युवाओं तक पहुंचाना और उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करना है। उनके आदर्श और विचार युवाओं में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, और राष्ट्रीय गौरव का संचार करते हैं। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम जैसे संगोष्ठी, सेमिनार, निबंध लेखन, खेल प्रतियोगिताएं, और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इनका मकसद युवाओं में नई ऊर्जा का संचार करना और उन्हें समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराना है।
राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व
राष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं के लिए ऐसा मौका है जो उन्हें याद दिलाता है कि वे समाज और राष्ट्र के भविष्य निर्माता हैं। ये दिन युवाओं को ऊर्जा और क्षमताओं को सही दिशा में लगाने का संदेश देता है। यह दिन स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और उनके आदर्शों को याद करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का मौका है।
National Youth Day 2025 Theme: क्या है इस वर्ष की थीम और विषय
इस वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस का विषय "राष्ट्र निर्माण के लिए युवा सशक्तिकरण" है। इसके साथ ही इस वर्ष इसकी थीम "युवा एक स्थायी भविष्य के लिए: लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार देना" (Youth for a Sustainable Future: Shaping the Nation with Resilience and Responsibility) है।
https://www.amarujala.com/photo-gallery/lifestyle/swami-vivekananda-jayanti-2025-when-is-national-youth-day-yuva-divas-and-why-it-is-celebrated-2025-01-08?pageId=5
12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की बर्थ एनिवर्सरी:विवेकानंद जी की सीख- भागने से नहीं सामना करने से दूर होती है परेशानियां
रविवार, 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की बर्थ एनिवर्सरी है। स्वामी जी से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें सुखी जीवन के सूत्र छिपे हैं। इन सूत्रों को अपना लेने से हमारी सभी दिक्कतें दूर हो सकती हैं। यहां जानिए विवेकानंद जी से जुड़ा एक ऐसा चर्चित किस्सा, जिसमें परेशानियों से निपटने का सूत्र बताया गया है...एक बार स्वामी विवेकानंद किसी मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए गए थे। उस मंदिर के आसपास कई बंदर रहते थे, जो कि वहां आने-जाने वाले भक्तों से प्रसाद छीन लेते थे।
मंदिर में दर्शन करने के बाद विवेकानंद जी जैसे ही मंदिर से बाहर आए तो वहां के बंदरों ने उन्हें घेर लिया। बंदर स्वामी जी से प्रसाद छिनने की कोशिश कर रहे थे। स्वामी जी इतने बंदरों को एक साथ देखकर थोड़ा डर गए और बंदरों से बचने के लिए तेजी से भागने लगे। बंदर भी स्वामी जी का पीछा करने लगे। जहां ये घटना हो रही थी, वहां एक एक वृद्ध साधु भी खड़ा हुआ था। वह ये पूरी घटना ध्यान से देख रहा था। बहुत कोशिश करने के बाद भी स्वामी जी उन बंदरों को अपना पीछा नहीं छुड़ा पाए। वे बहुत परेशान हो गए थे, तब उस साधु ने स्वामी जी से कहा कि रूको। डरो मत, उनका सामना करो। वृद्ध साधु की ये बात सुनकर स्वामी जी ठहर गए, थोड़ा सोच-विचार करने के बाद वे पीछे की ओर पलटे और बंदरों के ओर तेजी से बढ़ने लगे। जैसे विवेकानंद बंदरों की ओर बढ़े तो सभी बंदर वहां से भाग गए। बंदरों के जाने के बाद स्वामी जी ने उस साधु को धन्यवाद दिया और वहां से लौट गए। स्वामी जी ने कुछ समय बाद अपने एक प्रवचन में इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर हम किसी चीज से डरते हैं तो उससे भागना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद की सीख
जब हम परेशानियों से या किसी डर से भागते हैं तो वह परेशानी और डर हमारा पीछा नहीं छोड़ते हैं।
जब हम अपने डर का और परेशानियों का सामना करते हैं, तब ही इनसे मुक्ति मिल सकती है।
इसलिए हमें मुश्किलों से भागना नहीं चाहिए, बल्कि मुश्किलों को सामना करना चाहिए।
https://www.bhaskar.com/jeevan-mantra/dharm/news/swami-vivekanandas-birth-anniversary-is-on-12-january-life-management-tips-of-swami-vivekanand-in-hindi-motivational-story-of-vivekanand-134269987.html