Friday, 18 October 2019

गरीबी पर काम करने के लिए अभिजीत बनर्जी को 2019 अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है



भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी समेत तीन लोगों को गरीबी पर काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है। अभिजीत के साथ नोबेल पुरस्कार पाने वाले हैं, फ्रेंच अमेरिकल एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर हैं। रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंस ने इस बारे में जानकारी दी। गौर तलब है कि एस्थर डुफ्लोे अभिजीत की पत्नी हैं।

एकेडमी के अनुसार तीनों विद्वानों ने वैश्विक गरीबी से लड़ने के तरीकों पर व्यवहारिक जवाब पाने के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश किया जिसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अभिजीत बनर्जी वर्तमान में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल की ओर एमआईअी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता बनर्जी, कोलकाता यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। अभिजीत बनर्जी ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी।

अर्थशास्त्र का नोबेल जीतने वाले अभिजीत बनर्जी कोलकाता के रहने वाले हैं। उनके पिता दीपक बनर्जी भी बड़े अर्थशास्त्री रहे हैं। अभिजीत की किताब जगरनॉट जल्द आने वाली है। अभिजीत से पहले भारतीय मूल के अमर्त्य सेन को 1998 अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था।


साल 2019 का नोबेल पुरस्कार तीनों को वैश्चिक गरीबी हटाने के लिए प्रयोगात्मक नजरिया अपनाने के सम्मान में दिया गया।

इन भारतीयों व भारत से जुड़ी हस्तियों को मिल चुका है नोबेल पुरस्कार, देखें पूरी लिस्ट


नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय
1. रविंद्रनाथ टैगोर : (साहित्य)
रविंद्रनाथ टैगोर 1913 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे। साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया था। वह यह सम्मान पाने वाले पहले एशियाई भी रहे। यह पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे।

2. चंद्रशेखर वेंकटरमन: (भौतिकी)
चंद्रशेखर वेंकटरमन(सीवी रमन) ने भौतिकी के क्षेत्र में यह सम्मान 1930 में हासिल किया। जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है, तब उसकी वेवलेंथ (तरंग की लम्बाई) में बदलाव आता है। इसी को रमन इफेक्ट के नाम से जाना गया।

3. मदर टेरेसा: (शांति)
अल्बानिया मूल की भारतीय मदर टेरेसा को 1979 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने 1950 में मिशनरी ऑफ कोलकाता की स्थापना की थी। उन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी।

4. कैलाश सत्यार्थी: (शांति)
वर्ष 2014 का शांति का नोबेल पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी को मिला है। बच्चों के लिए किए गए उनके काम को देखते हुए कैलाश सत्यार्थी को यह पुरस्कार दिया गया।


भारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता
1. हरगोविंद खुराना: (चिकित्सा)
भारतीय मूल के वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था। पंजाब में जन्मे खुराना ने अमरीका के जाने माने एमआईटी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की थी और अमरीका में ही बस गए थे।

2. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर: (भौतिकी)
डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई। वह बाद में चंद्रशेखर अमेरिका चले गए। उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र और सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।

3. वेंकट रामाकृष्णन: (रसायन)
भारतीय मूल के अमेरिकी विज्ञानी वेंकटरमण रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में साल 2009 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर अध्ययन के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया। उनका जन्म तमिलनाडु के चिदंबरम जिले में 1952 में हुआ था।

4. वीएस नायपॉल: (साहित्य)
त्रिनिदाद एंड टोबैगो में जन्मे भारतीय मूल के लेखक वीएस नायपॉल को 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। उनके पूर्वज गोरखपुर से गिरमिटिया मजदूर रूप में त्रिनिदाद पहुंचे थे। उनके उपन्यासों में भारत को काफी महत्व दिया गया।

4. अमर्त्य सेन: (अर्थशास्त्र)
अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन पहले एशियाई हैं। शांतिनिकेतन में जन्मे इस अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने गरीबी और भुखमरी जैसे विषयों पर काफी गंभीरता से लिखा है।

भारत में जन्मे विदेशी को भी मिला नोबेल
1.रोनाल्ड रॉस: (चिकित्सा)
रोनाल्ड रॉस को चिकित्सा और मलेरिया के परजीवी प्लास्मोडियम के जीवन चक्र की खोज के लिए 1902 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। उनका जन्म उत्तराखंड के कुमांऊ के अल्मोड़ा जिले के एक गांव में हुआ था।

2. रुडयार्ड किपलिंग: (साहित्य)
ब्रिटिश लेखक और कवि रुडयार्ड किपलिंग को साहित्य के क्षेत्र में 1907 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म मुंबई में हुआ था।


भारत में रहे विदेशी को भी मिला नोबेल
दलाई लामा: (शांति)
दलाई लामा को साल 1989 में नाबेल का शांति पुरस्कार मिला था। दलाई लामा पूरी दुनिया में तिब्बती धर्मगुरु के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म 1935 को तिब्बत में हुआ था। वह कई वर्षों से भारत में रह रहे हैं।

cbse 12th exam 2019 2020 : सीबीएसई ने प्रैक्टिकल एग्जाम के लिए बनाया ये नियम


केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की प्रायोगिक परीक्षा देने के लिए छात्रों को स्कूल यूनिफार्म में जाना होगा। बोर्ड के इस नियम से फ्लाइंग छात्रों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। अब छात्र और उनके अभिभावक स्कूल का नाम और वहां के यूनिफार्म की जानकारी लेने में लगे हैं। दरअसल फ्लाइंग छात्रों को जब बोर्ड परीक्षा का एडमिट कार्ड मिलता है तभी उन्हें स्कूल की जानकारी भी होती है। ऐसे में अंतिम समय में मुश्किलें न हों, इसके लिए अभी से ही अभिभावक स्कूलों से वहां की जानकारी लेकर यूनिफार्म तैयार कर रहे हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश भर के नॉन एफिलिएटेड स्कूल सीबीएसई के स्कूलों (मान्यता प्राप्त) से साठगांठ कर अपने छात्रों का परीक्षा फार्म भरवाते हैं। एक स्कूल के छात्र कई स्कूलों से फॉर्म भरते हैं।

इन स्कूलों के छात्रों को पता नहीं होता कि उनका फॉर्म किस स्कूल से भरवाया गया है। जब बोर्ड एडमिट कार्ड देता है फिर उन्हें उनके स्कूल का नाम का पता चलता है। ऐसे छात्रों की संख्या हजारों में होती है। होम सेंटर खत्म होने से छात्रों को प्रायोगिक परीक्षा दूसरे सेंटर पर जाकर देनी होगी। एक सेंटर पर पांच से छह स्कूलों के छात्र होंगे। ऐसे में छात्र को चिह्नित करने के लिए यूनिफार्म में प्रायोगिक परीक्षा में शामिल होने का निर्देश दिये गये हैं। जो छात्र यूनिफार्म में नहीं होंगे, उन्हें प्रायोगिक परीक्षा नहीं देने दिया जायेगा।